Tuesday, October 26, 2010

दिल का मेरा ये हाल है

  बिन बिका लौटा हुआ सा- माल है  .  बाज़ार में तेरे दिल का मेरा ये हाल है|
बेच आती दाम ऊंचे |
अगर होती यह बिकाऊ..
आत्मा  तो है हमारी .
सबल है निकल नहीं पाऊ
साख गिर गयी .
किस तरह अब स्नेह की
बाज़ार में ऊँची लगी है ,
सिर्फ बोली देह की |

No comments:

Post a Comment