एक जगह है बाकि ,
जहा व्यभिचार तेरा ,
कर कठिन श्रम भी
नहीं करता बसेरा |
तुम निरंकुश , आततायी
उस जगह से डरो ,
एक अंग रहने दो मेरा ,
मेरे सारे अंग वरो |
इस ह्रदय कि कोख में ,
स्नेह कि नदिया बहीं हैं ,
इस ह्रदय कि कोख ने
स्नेह का सूखा सहा है |
यह ह्रदय है ,
जो तड़प कर
भावना के भूख में -
स्वं मरता है
जीवन कि अकथ कथा को ,
बिना व्यथा के सहता है
यही ह्रदय है जो मेरे संग ,
बिना दुःख हास्य सहे रहता है
इसको क्षमा करो ,
प्रिय तुम मेरा ह्रदय ना लो |
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