Friday, October 22, 2010

पदचाप की उत्प्रेरणा

देख कर सबकी ख़ुशी ,
अपने गम हम भूल जाते हैं
सड़क हैं ,
पदचाप की उत्प्रेरणा है
धूल खाते हैं
तुम्हें मेरी जमीं का वास्ता है |
कीचड़  से मत घबराना ,
एक बार आकार देख जाना
किस ख़ूबसूरती से बना रास्ता है ,
अपने ह्रदय की संकीर्णताओ  से
खुद को जरा ऊपर उठाना ,
मत जल्द बाज़ी में कोई उपनाम दे जाना
संभल कर अपनी अपनी राह लेना
कि -
यहाँ चौरास्ता है ,
फर्क पड़ता नहीं नाम या उपनाम से
बस पथिक से वास्ता है ,
पथिक के स्पर्श से
मगन हो जाते हैं
सड़क हैं ,
पदचाप की उत्प्रेरणा हैं
धूल खाते हैं |

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