माना नहीं मेरा यहाँ नामो निशा है ,
पर अभी भी -
किसी खम्बे में दिल अटका
किसी पाए में जान है ,
किसी मेहराब में है आत्मा ,
हर कदम,कदमो के निशा हैं
एई भाई !
मैं बहन तेरी
बेटी थी यहाँ कि ,
आज माँ हूँ
बताऊ कौन सा सच ?
कि मैं कहा हूँ ?
कहाँ कि हवा मेरी है ?
कहाँ आसमान मेरा है ?
कहूँ किससे ? संभाले रख
कि यह जहां मेरा है ,
ठहरना है नहीं मुझको कहीं
ना जमीं मेरी ना मकान मेरा है ,
जहाँ मैं हूँ
वहां मौसम नहीं बदलता है
बदल जाते हैं घर ,
अरमान नहीं बदलता है
कभी भूले से भी
अगर इक बार आएंगे ,
नजर भर देख लेंगे बस
दुवायें देकर जायेंगे |
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