pratikriya
Friday, October 22, 2010
वास्ता
अपनी ख़ुशी सिर्फ कैसे संभालू ,
ठहरी है मंजिल वहीँ पर हमारी |
जहाँ हर किसी का चौरास्ता है ,
हर एक गम से मेरा वास्ता है |
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